भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी एक दिन भ्रमण के लिए निकले. उनका मंचित्र वातावरण और शांति से भरा था. उनकी यात्रा के दौरान, एक जंगल में एक दंपति का आपसी वार्तालाप सुनकर उन्होंने उनकी दिशा में ध्यान दिया. उन्होंने दंपति से पूछा, “तुम्हारे जीवन में क्या समस्याएं हैं?”
पुरुष ने दुखी होकर अपनी कथा साझा की. “मेरा जीवन अनियमित है,” उसने कहा, “मैंने कई कोशिशें की, पर सभी व्यावसायिक प्रयास असफल रहे हैं. मेरा परिवार भी इस वक्त मुश्किलों में है.”
विष्णु ने ध्यान से सुना और उसने प्रश्न किया, “क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी किस्मत खराब है?”
पुरुष ने अपनी कहानी का विवरण दिया, “मेरी पूर्व की किस्मत भले ही अच्छी नहीं थी, पर मैंने प्रयास किया है. परिवार और दोस्तों की सहायता के बावजूद, मेरा परिवार मुश्किल में है और मेरे दोस्तों का व्यवसाय सफल है.”
विष्णु ने उससे पूछा, “क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा दोस्त तुम्हें आगे बढ़ने से रोक रहा है?”
पुरुष ने उत्तर दिया, “नहीं, प्रभु। मुझे खुद को निर्भर होने की जरूरत है, न कि किसी और पर.”
विष्णु ने कहा, “सच्चा यथार्थ यह है कि हम अपनी किस्मत के लिए जिम्मेदार होते हैं. अपने आप पर विश्वास करें और मेहनत करें. सफलता अवश्य मिलेगी.”
इस अनुभव से सीखकर, पुरुष ने सोचा, “मेरी किस्मत अब तक मुझसे ही आई है. अब मैं निरंतर प्रयास करूंगा और अपनी किस्मत को स्वयं निर्माण करूंगा.”
इस अनुभव के बाद, पुरुष ने नई ऊर्जा और उत्साह के साथ काम किया और अपनी किस्मत बदल दी. वह अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर सफल हो गया और अपने सपनों को पूरा किया.
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए हमें खुद पर भरोसा करना और मेहनत करना आवश्यक है. जब हम अपनी किस्मत के निर्माण में सक्षम होते हैं, तो हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं.