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कुबढ़ का Aatam samarpan

कुबढ़ की कहानी:-

बहुत समय पहले की बात है हमारे देश में कुबढ़ नामक एक बीमारी थी, ये कहानी उस बच्चे की है जिसका जन्म से कुबढ़ था.  एक बार जब वह 18 साल का हो गया तो अनाथालय में रहने वाले उस लड़के को वहां से निकाल दिया गया. लेकिन उसकी ज़िन्दगी में हमेशा से लोगों ने कुबढ़ का मज़ाक उड़ाया था. उसे कुबढ़ कहा जाता और उसके साथ अन्याय किया जाता. पर फिर भी, उसने अपने अनाथालय में अपना समय बिताया. वहां के बच्चों में एक  बच्चा था जो पढ़ाई में उत्कृष्ट था जितने भी बच्चे थे से एक वही लड़का था जो पढाई में भी बहुत अच्छा था  उनको रोजगार के लिए टोकरी बनाने का काम भी सिखाया जाता था. उसने ये काम बहुत लगन से मन लगाकर सीख लिया. कुबढ़ टोकरी बहुत अच्छी  बनाता ओर बच्चों के मुकाबले भी ज़्यादा बनाता था. जितनी ओर बच्चे 10 दिन में टोकरी बनाटी उतनी टोकरी वह 5 दिन में बना देता था. उसने धीरे-धीरे एक झुग्गी बना ली थी जहां वो रहता था. 

उसने अपनी मेहनत और लगन से काम किया, और उसकी टोकरी बहुत ही अद्वितीय बन गई. उसकी टोकरी के आगे दूसरों की टोकरियाँ पीछे रह गईं. फिर भी, उसे अपनी टोकरी बेचने में मुश्किल होती थी, क्योंकि कोई भी उसे बाजार में टोकरी  नहीं बेचने दिया इसलिए, वह दूर के गाँवों में जाता था. एक दिन, वापस आते हुए, उसने एक हवेली देखी. वह अंदर गया और भूत गाते हुए मिले. उनके साथ मिलकर उसने भी गाना शुरू किया.

इसे देखकर भूतों ने कहा, “जब लोग हमारी आवाज सुनकर भाग जाते हैं, तो तुमने नहीं किया” और फिर उन्होंने उसको छूकर उसका रोग ठीक कर दिया. फिर भी लड़का रो रहा था उसने कहा इंसान तो मुझे समझ नहीं पाया लेकिन भूतो ने मुझे वरदान दे दिया फिर भूतो ने खुश होकर उसके बाद,  उसे धन, धौलत और सम्पत्ति दी.

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी इंसान को गरीब होना या अन्याय सहन करना पड़ता है, लेकिन उसकी लगन, मेहनत और सहारा हमेशा उसे आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करते हैं. जब हमारे पास कोई नहीं होता, तो भगवान की शक्ति हमारे साथ होती है, जो हमें सामर्थ्य और साहस देती है.

अहंकार – A Short Story about Arrogance

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